छप्पय – नाभादास | Class 12th Hindi Chapter 4 | Chhappy kavi Parichay and हिंदी प्रश्न उत्तर और Solution

Class 12th Hindi Chapter 4 : बिहार बोर्ड हिंदी 100 मार्क्स तैयारी करना चाहते हैं तो आज की इसलिए बिहार बोर्ड की कुछ ऐसी महत्वपूर्ण क्वेश्चन और आंसर के बारे में बताएंगे। छप्पय चैप्टर से कुछ ऐसे सवाल जो सीधा बोर्ड के सवाल से मिलता जुलता है। अगर आप भी घर बैठे हिंदी की संपूर्ण तैयारी करना चाहते हैं तो आपको इस आर्टिकल के नीचे बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा से जुड़ी सभी हिंदी से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण सवाल के उत्तर दिए गए हैं। आज की किस आर्टिकल में नाभादास की संपूर्ण जीवन परिचय और इनसे जुड़ी सभी सवाल जो बिहार विद्यालय परिचय समिति की फाइनल परीक्षा में पूछे जाते हैं।

लेखक नाभादास का जन्म अनुमानित 1550 ईस्वी में इनका निधन अज्ञात है जन्म स्थान दक्षिण भारत में शैशव मैं पिता की मृत्यु और काल के कारण माता के साथ जयपुर में प्रवास।

दीक्षागुरु : स्वामी अग्रदास (अग्रअली) वृंदावन में उनका स्थाई निवासर कृतियां : भक्तमाल, अष्टयाम

छप्पय एक छंद है जो इसठ पक्शित का गेय पढ़ है’ भक्तमाल भक्त चरित्रों की माला.

“कबीर”

भगति विभूख जे धर्म सो मलक -में करिः गए। योग यज्ञ व्रत दान भजन बिनु तुच्छ दिखाए। हिंदू तुरक प्रमान रमैनी सबदी साखी पक्षपात नहि बचन सबहिके हितकी भाषी । आरुद दशाहने जगत पै. मुख देखी नाही भनी ।’ कलीर कानि राखी नहीं, वर्णाश्रम घट दर्शनी।

“सूरदास”

उक्ति चौन अनुप्रास वर्णं अस्शिति आतिभारी वत्चन प्रीति निर्वाही अर्थ अदभुत तुकधारी” प्रतिबिंबित दिविं दृष्टि हृदय हरि लीला भासी । जन्म तामे गुम रूप सबहि रसना परकासी विमल बुद्धि हो तासुकी, जो सह गुन प्रत्नान हारे। सूर कवित सुनि कोन कवि जो नहिं शिरचालन करें।

नाभादास ऑब्जेक्टिव प्रश्न (Objective Questions)

1. नाभादास का जन्म किस वर्ष हुआ था?
(क) 1550 ई.
(ख) 1580 ई.
(ग) 1600 ई.
(घ) 1620 ई.
उत्तर: (क) 1550 ई.

2. नाभादास किस भक्ति संप्रदाय से जुड़े थे?
(क) शैव संप्रदाय
(ख) वैष्णव संप्रदाय
(ग) शाक्त संप्रदाय
(घ) नाथ संप्रदाय
उत्तर: (ख) वैष्णव संप्रदाय

3. नाभादास द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम क्या है?
(क) विनय पत्रिका
(ख) भक्तमाल
(ग) रामचरितमानस
(घ) पद्मावत
उत्तर: (ख) भक्तमाल

4. ‘भक्तमाल’ किस भाषा में रचित है?
(क) ब्रजभाषा
(ख) अवधी
(ग) संस्कृत
(घ) खड़ी बोली
उत्तर: (क) ब्रजभाषा

5. नाभादास किस संत के शिष्य थे?
(क) चैतन्य महाप्रभु
(ख) रामानंद
(ग) कृष्णदास पायाहारी
(घ) तुलसीदास
उत्तर: (ग) कृष्णदास पायाहारी

प्रश्न 1: नाभादास के जीवन और साहित्य पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।

उत्तर: नाभादास का जन्म 1550 ई. में राजस्थान के मेड़ता क्षेत्र में हुआ था। वे एक अंधभक्त कवि थे और कृष्णदास पायाहारी के शिष्य थे, जो रामानंद संप्रदाय के प्रमुख संत थे। नाभादास वैष्णव भक्ति परंपरा से जुड़े हुए थे और उन्होंने भक्ति आंदोलन को विस्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना ‘भक्तमाल’ है, जिसमें लगभग 200 प्रमुख भक्तों का जीवन-परिचय दिया गया है। यह ग्रंथ 1585 ई. के आसपास ब्रजभाषा में लिखा गया था। नाभादास ने इस ग्रंथ के माध्यम से भक्ति के आदर्शों को प्रस्तुत किया और भक्तों की जीवन-गाथाओं को लोकमानस तक पहुँचाया।

प्रश्न 2: ‘भक्तमाल’ ग्रंथ की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर: ‘भक्तमाल’ नाभादास द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण भक्ति ग्रंथ है। इसमें भक्ति आंदोलन के लगभग 200 भक्तों की संक्षिप्त जीवनियाँ दी गई हैं।

मुख्य विशेषताएँ:- 

भक्ति का चित्रण: इसमें भक्ति की विभिन्न शाखाओं – रामभक्ति, कृष्णभक्ति, निर्गुण और सगुण भक्ति का संतुलित चित्रण मिलता है।

संत चरित्र: इसमें नामदेव, कबीर, रैदास, मीरा, तुलसीदास, सूरदास आदि प्रसिद्ध संतों का उल्लेख किया गया है।

भाषा: यह ब्रजभाषा में लिखा गया है, जो सरल, भावपूर्ण और प्रभावशाली है।

साहित्यिक महत्व: भक्तमाल ने भक्ति साहित्य को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सामग्री दी है।

प्रश्न 3: नाभादास की भाषा और शैली का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर: नाभादास की भाषा ब्रजभाषा है, जो उस समय की प्रमुख काव्य भाषा थी। उन्होंने सरल, सहज और भावनात्मक भाषा का प्रयोग किया है।

शैली की विशेषताएँ:- 

वर्णनात्मक शैली: संतों के जीवन-चरित्र का संक्षिप्त लेकिन सजीव वर्णन।

कथात्मक प्रवाह: उनकी रचनाओं में कथा जैसा प्रवाह होता है, जिससे पाठक जुड़ाव महसूस करता है।

भावप्रधानता: भाषा में भक्ति भावना और श्रद्धा का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।

साहित्यिक सादगी: उनकी शैली में शुद्ध साहित्यिकता नहीं, बल्कि सरल और जनभाषा की मिठास है।

प्रश्न 4: नाभादास की भक्ति भावना का परिचय दीजिए।

उत्तर:नाभादास की रचनाओं में गहरी भक्ति भावना प्रकट होती है। वे सगुण भक्ति मार्ग के अनुयायी थे और भगवान राम तथा श्रीकृष्ण को अपना आराध्य मानते थे।

उनकी भक्ति भावना के प्रमुख पहलू:

गुरु भक्ति: वे अपने गुरु कृष्णदास पायाहारी के प्रति अत्यंत श्रद्धावान थे।

संतों का सम्मान: उन्होंने ‘भक्तमाल’ में सभी संतों को आदरपूर्वक प्रस्तुत किया।

समर्पण भाव: उनकी रचनाओं में ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण झलकता है।

सर्वधर्म समभाव: उन्होंने भक्ति में जाति या संप्रदाय के भेद को महत्व नहीं दिया।

अभ्यास प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. छप्परा में कबीर कीकिन विशेषताएं का उल्लेख लिया है। उनकी क्रम से सूची बताइए?

उत्तर:- नागादास ने कबीर की निम्न विशेषताओं का उल्लेख किया है।

<1> कबीर की मति आते गंभीर और डो -करण भक्तिरस से सरस था।
<2> वे जाति-पाति एवं वर्णाश्रम का कोई महत्व नहीं देते थे
<3>कबीर ने केवल गंगवचवितं तो ड श्रेष्टा माना है।
<4>भगवद्भक्ति के अतिरिक्त जितने हार्म हैं। उन सबको कबीर ने शहा एवं त्यरी बताया है।
<5>कबीर पक्षपात नहीं करते हैं।

प्रश्न 2. मुख देही नाही भनी” का क्या हैं? कबीर पर यह कैसे लागू होता।

उत्तर:- मुख देखकर नहीं कहना। कबीर एउ कवि है जिन्होंने कभी भी मुख देस बात नहीं की। मन्त्र को सच कह में उन्हें कोर्ड परिवाह नहीं গা तो पक्षपात नहीं करते थे। तो रो भी कहते है कि मरत को देखर हिंदू-मुसलमान होने क ए हैं। रो स नहीं लगाया जा सकता बेकार है। भवसागर से पार हो एकमात्र रास्ता है। भगवद्धतित

प्रश्न 3. सूर के काव्य की तीन विशेषताओं ला उल्लेख कवि ने किया है।

उत्तर:- कति नाभादास ने सूर के काव्य के चमत्‌कार, अनुप्रास एवं उनकी भाषा की सुंदरता की. सराहना की है। इनकी भाषा में उपस्थित’ तुक’ की प्रशंसा की है। सूर ने अपने कात्य मैं कृष्ण के जन्म कर्म, गुण, रूप आदि को भी दर्शाया है। कवि नाथ दास कहते है। कि जो सूर के काव्य को सुनेगा, उसकी बुद्धि विमल हो जाती है।

प्रश्न 4. सूर कविता मुनि कौन कति, जो नहि शिरचालन करें?

उत्तर:- प्रस्तुत पक्ति नामादास द्वारा उचित हिप्पये कविता से लिया गया है। कति कहते हैं कि’ कौन ऐसा कवि है जो सूरदास जी की कविता सुनकर प्रसन नहीं हो और भाव-विभोर होकर सिर न हिलाया।

प्रश्न 5. पक्षपात नहि बचन सबहिक हित‌की भाषी इस पक्ति में कबीर के लिए गुण काः परिचय मिलता है?

उत्तर:- पक्षपात नहि बत्चन सबहिके हितकी भाषी में राह दशाया गया है कि कबीर हिंदू मुसलमान, आरी अनार में कोई भेद नहीं रखते है हो पक्षपात नहीं करते है बल्कि सबके हित की बात करते हैं। वे सिद्धांत -वादी है। और सिद्धांतो का ही लेकर बढ़ते है।

प्रश्न 5. कविता में तुक का क्या महत्व है।

उत्तर:- इन छप्पयो के संदर्भ में स्पस्टत कविता में तुक का मतलब हुआ। कविता का लयबद्ध सानि संगितामतमक होना। कविता: में जितनी लयया संगीत होगा वह उतनी ही आकर्षक होगा । कवि के शब्द चयन की प्रतिभा कविता के लय से ही होती है। कंति नाभादास द्वारा इस छप्पय में जी तुक का प्रयोग किया गया है। वो हिन्दी साहित्य में दुर्लभ है। अतिभारि तुकधारी लीलाभासी- परकासी जैसा। तुक बहुत ही मनोहर है।.

प्रश्न 5. कबीर कानि राखी नहीं से क्या तात्रार्प है?

उत्तर:- कबीर ने चार वर्णाश्रम तथा छह दर्शनो मे से किसी का महत्व नहीं दिया उन्होंने केवल भगवद्भकित को ही संसार रूपी भवसागर पार करने का साहान बताया है।

हृह-दर्शन- सरख्या, योग, न्याय वैशेविष मीमांसा और वेदान्त, चार, वणीश्रम शूद्र वैश्य, क्षत्रिय, ब्राहाणा

प्रश्न 8. कबीर ने भक्ति को कितना महत्व दिए?

उत्तर:- कबीर ने भक्ति को सर्वश्वेस्य मानी मनुष्य को भगवन्द्वक्ति के अलात काका इस भवसागर को पार करने व दूसरा मार्ग नहीं है। वे कहते हैं कि मनुष्य को भक्ति करते समय मन को शुद्ध रखना चाहिए। ते क है कि खभक्ति से विमुख जित्ने भी धर्म है। सभी अधर्म है। भक्ति के अतिरिक्त सब कुछ त्यर्थ है

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